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धूम उठाई सीने में


यास-ओ-उमीद-ओ-शादी-ओ-ग़म ने धूम उठाई सीने में 

ख़ूब मुझे है आज धमा-धम मार-कुटाई सीने में 


दीद किया जो वादी-ए-मजनूँ हम ने धुन में वहशत के 

शक्ल मुजस्सम हो के जुनूँ की आन समाई सीने में 


शैख़-ओ-बरहमन दैर-ओ-हरम में ढूँढते हो क्या ला-हासिल 

मूँद के आँखें देखो तो है सारी ख़ुदाई सीने में 


क़हर किया ये तुम ने साहब आँख लड़ाना आफ़त था 

झट-पट दिल को फूँक दिया और आग लगाई सीने में 


हज़रत-ए-दिल तो कब के सिधारे ख़ूब जो ढूँडा 'इंशा' ने 

एक धुआँ सा आह का उट्ठा ख़ाक न पाई सीना में

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